Dinesh Choudhary
Mar 18, 20232 min
Updated: Mar 26, 2023
हमने और आपने भगवान श्री गणेश के गजानन या गजमुख बनने के किस्से तो बहुत सुने हैं परंतु
क्या आप जानते हैं गणेश जी का असली मस्तक काटने के बाद गज का मस्तक तो लग गया लेकिन उनका असली मस्तक कहा गया ?
श्री गणेश के जन्म के संदर्भ में 2 कथा प्रचलित हैं
प्रथम कथा के अनुसार जब माता पार्वती ने श्रीगणेश को जन्म दिया, तब इन्द्र देव और सभी देवी-देवता गणेश के दर्शन के लिए आए। इसी दौरान शनिदेव भी वहां आए, जो श्रापित थे कि उनकी श्रापित दृष्टि श्रापित दृष्टि जहां भी पड़ेगी, वहां अनहोनी होगी। इसलिए जैसे ही शनि देव की दृष्टि गणेश पर पड़ी और श्रीगणेश का मस्तक अलग-अलग चंद्रमंडल में चला गया।
दूसरी कथा इस प्रकार है जब माता पार्वती ने अपने तन के मैल से श्रीगणेश का स्वरूप तैयार किया और स्नान होने तक गणेश को द्वार पर पहरा देने को कहा और किसी को भी अंदर प्रवेश करने से रोकने का आदेश दिया। तबी वहां पहुंचे भगवान शंकर को जब श्रीगणेश ने माता के आदेश के अनुसार भगवान शंकर को अंदर जाने से रोक दिया, तो क्रोध में भगवान शंकर ने श्रीगणेश का मस्तक काट दिया, जो चन्द्र लोक में चला गया। बाद में भगवान शंकर ने पार्वती के क्रोध को शांत करने के लिए कटे मस्तक के स्थान पर गजमुख या हाथी की मस्तक जोड़ा।
पोरानिक कथाओ के अनुसार ऐसी मान्यता है कि श्रीगणेश का वास्तविक मस्तक चन्द्रमंडल में है, इसी आस्था से भी धर्म परंपराओं में संकट चतुर्थी तिथि पर चन्द्रदर्शन व अर्घ्य देकर श्रीगणेश की पूजा व भक्ति द्वारा संकटनाश व मंगल कामना की जाती है।