एक बार एक शहर में एक सेठजी रहते थे। उनके अपने छोटे भाई को नया व्यापार शुरू करने के लिए 3 लाख रुपये दिए। थोडे समय में छोटे भाई का व्यापार अच्छा जाम गया और उसके खूब बरकत होने लगी, लेकिन हमने अपने बड़े भाई को उसके पैसे नहीं लौटाए.
क्या बात पर आखिरी में दोनों में झगड़ा हो जाता है और झगड़ा इतना बुरा जाता है कि दोनो एक दूसरे के घर आना जाना और बातचीत भी बंद कर देते हैं। सेठजी अब हर समय अपने रिश्तेदारो और संबंधों के सामने छोटे भाई का निरादर या निंदा करते थे।
सेठ जी पूजा साधना भी करते हैं लेकिन इस कारण से उनकी साधना में भी बाधा पढने लगी पूजा के समय भी छोटा भाई या उसकी हरकते दिमाग में घूमती, baicheniहोने लगी थी आखिर में वो परशान होके एक संत के पास गए
संत ने कहा " तू चिंता मत कर भगवान की कृपा होगी और सब ठीक हो जाएगा। तू बस कुछ फल और मिठाई लेके छोटे भाई के घर चला जा और हम से छमा मांग ले।"
सेठ जी ने कहा "महाराज मदद भी मैंने की और छमा भी मैं मांगू".संत ने उत्तर दिया दुनिया में ऐसा कोई संघर्ष नहीं जिस्मे केवल एक पक्ष की गलती हो चाहे एक पक्ष की सिर्फ एक प्रतिसत भुल हो और दुसरे के निन्यानवे प्रतिसत पर भुल तो दोनों की होती हैं।
सेठजी कुछ समझे नहीं तो पूचा महाराज में क्या भूल की है।संत ने कहा तुमने अपने भाई की निंदा या तिरस्कार किया, क्रोध पूर्ण बात कही, अपने कानो से उसकी निंदा सुनी अपने हृदय मैं छोटे भाई के लिए क्रोध और नफरत लेकर आए ये सब आपकी भूल हैं सेठ जी।
अपनी सब भूलो से तुमने अपने छोटे भाई को बहुत दुख दिया है अब वो 100 गुना होके वैप आपके पास लौट आया है।
सेठजी की आंखें खुल गई। संत को परनाम करके वो सीधे अपने छोटे भाई के घर पहचाने छोटे भाई के घर में संध्या भोजन की तैयारी चल रही थी। दरवाजा छोटे भाई के पुत्र ने खोला सामने सेठजी को देखा के चोंक गया या खुशी से चिल्ला कर बोला आ "देखिए पिताजी कोन आए हैं।"
बचे के माता पिता ने दरवाजे को देखा और आचार्य से सोचा कहीं ये कोई सपना तो नहीं देख रहे आज भैया स्वयं हमारे घर केसे आए हैं छोटे भाई की खुशी का ठिकाना ना रहा वो भाग के दरवाजे पे गया।
प्रेम से आंखों में आंसू द गला रुंध गया था बोला भैया आप आज 15 वर्षो बाद मेरे घर में।सेठ जी ने फल और मिठाई भतीजे को और बोले" छोटे भाई मुझसे भुत भूल हुई मुझे माफ कर दे या सारे गिले शिकवे भूल जा।"
माफ़ी माँगते दिल का प्रेम आंसू बन के बनने लगा छोटा भाई उनके चारनो में गिर गया और बोला भैया गलती मेरी थी आप मुझे माफ कर दो छोटे भाई के आंसू बड़े भाई के चरणो में और बड़े भाई के आंसू छोटे भाई के पीठ पर गिर रहे थे बड़ा ही अद्भुत नजारा था।
छमा और प्रेम का सागर बह रहा था सब चुप द सबकी आंखों में आंसू या हृदय में प्रेम था।छोटा भाई उठ के खड़ा हुआ और भाग के अंदर गया और अंदर से पैसे लाकर बड़े भाई के सामने रख दिए। बड़ा भाई बोला नहीं भाई आज में कोडियों के लिए नहीं आया हुआ आज में मेरे अनुज और उसके परिवार के लिए आया हूं मेरा आना सफल हुआ मुझे ये पैसे नहीं चाहिए इसका कोई मोल नहीं।मेरा दुख मिट गया मुझे बहुत आनंद मिल रहा है।
छोटे भाई ने कहा "भैया जब तक आप ये पैसे नहीं रखते मेरे हृदय को शांति नहीं होगी आप कृपा ये पैसे ले ले और मेरे दिल की तपन को शांत करे"
सेठजी ने भाई का मान रखा वो पैसे लेकर भाई की पत्नी ,भतीजे और भतीजीमें बांट दिए।
आज पंद्राह वर्ष बाद इस आधी रात को दो भाईयों का मिलन हुआ तो ऐसा लगा मनो साक्षात प्रेम शरीर धारण करके वहा आ पाहुचा हो
पुरा परिवार आठ प्रेम के सागर में डूबा था सेठजी के दिल में शांति थी उनके दिल से चिंता, दुख, तनाव, भय सब समापत हो गया था उनको एक नया जीवन मिल गया था.
हर एक मनुष्य को जीवन में छमा की भावना रखना चाहिए
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