Kahani- पच परमेश्वर
Updated: Mar 26

एक गाँव में पंचायत का काम दिन रात चलता रहता था। एक दिन पंचायत के पास एक मामला आया जिसमें दो भाइयों के बीच जमीन का विवाद था। एक भाई कह रहा था कि जमीन उसकी है, जबकि दूसरा भाई कह रहा था कि जमीन उसकी है।
पंचायत के सभी सदस्यों ने दोनों भाइयों को बुलाकर जमीन के आधार पर जाँच करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि दोनों भाइयों को एक खुरपटिया और एक बारह मासे के लिए जमीन का मालिक घोषित किया जाएगा।
पंचायत के बाद, दोनों भाई अपने खुरपटिये को लेकर खुश थे। हालांकि, दोनों भाइयों के मन में कुछ खलिश थी क्योंकि वे यह सोच रहे थे कि वे अपनी जमीन का मालिक बनाने के लिए एक दूसरे से लड़े थे।
फिर उन्होंने एक बुजुर्ग संन्यासी के पास जाकर अपनी समस्या बताई। संन्यासी ने उन्हें यह समझाया कि जमीन से ज्यादा महत्वपूर्ण चीजें होती हैं। वह उन्हें पांच परमेश्वरों के बारे में बताते हैंजो हर कोई जानता होता है, लेकिन उन्हें समझना बहुत मुश्किल होता है।
पहला परमेश्वर वाणी होता है। एक अच्छी वाणी अपने भाईयों की मदद करती है और उन्हें नुकसान से बचाती है।
दूसरा परमेश्वर बुद्धि होता है। बुद्धि उस व्यक्ति को समझाती है कि वह किसी भी विवाद में समझदारी से हाथ बटाने का प्रयास करे।
तीसरा परमेश्वर धैर्य होता है। धैर्य किसी भी दुख के साथ समझौता करने और उसे बढ़ावा नहीं देने की क्षमता होती है।
चौथा परमेश्वर साहस होता है। साहस अपने कार्य में सकारात्मक रूप से संलग्न रहता है और उसे पूरी मनोदशा के साथ करने की क्षमता होती है।
पांचवा परमेश्वर साधना होता है। साधना किसी भी काम को करने के लिए संगीत और उत्साह का उपयोग करता है।
संयोग से पंच परमेश्वर समझदारी, सकारात्मक रूप से संलग्न होने, धैर्य और साधना का उपयोग करते हुए दोनों भाइयों को यह समझने में मदद करते हैं कि वे अपने जमीन को लेकरविवाद करना बंद कर दें और एक दूसरे की मदद करने में सक्षम हो सकते हैं।
वे दोनों पंच परमेश्वर का आभार व्यक्त करते हैं और फिर अपनी जमीनों को बांटते हैं। इस अनुभव से दोनों भाई सीखते हैं कि सही विवादों का समाधान निष्ठा, समझदारी, समझौता और सहनशीलता से होता है।
इस रूप में, पंच परमेश्वरों की कहानी हमें यह बताती है कि हमें दूसरों से समझदारी और सहनशीलता से बातचीत करना चाहिए, ताकि हम एक दूसरे के साथ शांतिपूर्ण रिश्तों का विकास कर सकें।