top of page

जाग उठा परोपकर

Updated: Apr 11





एक समय की बात है किसी गांव में एक राजू नाम का व्यक्ति रहता था गांव में आपस में बहुत प्रेम और मेलजोल था सभी समुदाय के लोग वहां पर साथ में रहते थे.


राजू ज्यादा उम्र का होने के करण सारे गांव में उनका सम्मान था गांव में उनका अपना छोटा सा मकान था उसके अंदर आम का एक पेड़ लगाया हुआ था जिसके फल गांव के सभी बच्चे बड़े बूढ़े खाया करते राजू चाचा बच्चो से बहुत प्यार करते हैं इसलिए हर साल जब आम पक जाते तो गांव के सभी बच्चों को अपने घर पर आम की दावत देते थे।


परन्तु पता नहीं क्यों पिछले 2 वर्षों से यह दावत बंद हो गई थी इस बात पर बच्चे राजू चाचा से नाराज रहने लगे लेकिन वह कुछ कर भी नहीं सकते क्योंकि सब राजू चाचा से डरते हैं।


दूसरे साल जब पेड़ पर आम लगे बच्चो ने देखा राजू चाचा वहां नहीं है तो बच्चों ने मिलकर पेड़ पर पत्थर मार मार के सारे आम गिरा दिया कुछ अपने घर लेकर कुछ खा गए और कुछ बरबाद कर दिए।

राजू चाचा जब घर आए और पेड़ की हलात देखी तो उनको बहुत गुस्सा आया लेकिन उन्हें किसी से कुछ कहा नहीं।


फिर तीसरे साल और आम का मौसम आया इस बार भी राजू चाचा के पेड़ पर खूब आम लगे और राजू चाचा गांव में सारे बच्चों से कहा कि उनके घर पर आम की दावत है यह सुनकर बच्चे बहुत खुश हुए लेकिन कुछ लोग बोले कि पिछले 2 वर्षों से तो आम की दावत हुई नहीं।


जिस दिन दावत थी उस दिन हल्की हल्की बारिश हो रही थी कुछ बच्चे तो डर के गए नहीं और कुछ इस डर से चले गए कि कहीं चाचा उनके ना जाने से नाराज ना हो जाए फिर भी गांव के लगभाग आधे से से अधिक बच्चे उस दावत में आए थे ।


सब बच्चों ने मजे लेकर आम खाये जैसे ही आम खतम हुए तो एक बच्चे की नजर चाचा के घर के कोने की तरफ पड़ी वहां छप्पर के नीचे किसी वास्तु का बहुत बड़ा ढेर चादर से ढक के रखा हुआ था तो बच्चे ने राजू चाचा से पूछा चाचा जी इस चादर में आपने क्या छुपा रखा है?


उसकी बात सुनकर राजू चाचा मुस्कराते हुए बोले बच्चो मैंने 2 साल तुमको दावत नहीं दी इसके लिए मैं तुम लोगों से माफी मांगता हूं।


अगर तुम हर साल हम खाना चाहते हो और चाहते हो कि मेरे मरने के बाद भी तुम मिले तो मेरे पीछे आओ।

राजू चाचा ने ढेर के ऊपर से चादर हटाई वहां पर आम का ढेर था बच्चों से बोले हाथों में जितने भी आम ले जा सकते हैं आम ले जाओ बच्चों ने खुशी से ढेर सारे आम उठा लिए।


बच्चों की खुशी देखकर राजू चाचा की आंखें नम हो गई वह बोले सुनो बच्चों यह तुम्हारा इनाम है अपने घर जाओ आम को खाओ और इनाम से जो गुठलिया निकले उसे अपने गांव और अपने अपने घर में उगा दो।

उन में से एक बच्चे धीरे से बोला फिर पेड पर आम आने के लिए कितना इंतजार करना पड़ेगा।


राजू चाचा ने कहा आम आने में वक्त लगेगा लेकिन तब तक तुम मेरे पेड़ के हम खा सकते हो फिर जब तुम्हारे खुद के पेड़ पर आम लगे तो तुम खुशी से अपने पेड़ के आम खाना और मस्ती करना राजू चाचा की बात सुनकर बच्चे बहुत खुश हुए और वह हल्ला गुल्ला करते हुए उनके घर से निकल कर अपने घर चले गए।


शिक्षा- परोपकारी व्यक्ति का स्वभाव यादी किसी मजबूरी की वजह से बादल भी जाए तो वह जल्दी पुन: वैसा ही हो जाता है जैसे राजू चाचा कुछ समय के लिए तो बादल गए लेकिन एफआईआर वापस वैसे ही हो गए और बचो को आम की दावत देने लगे ।


Viral Trends- Kahani, Desi Kahani हमारी संस्कृति है एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है आज की story in hindi मैं हम लेकर आए हैं कहानी जाग उठा परोपकार


See Also

Kahani - सेब, घोड़ा और राजा

Kahani- क्षमा दान



171 views0 comments

Recent Posts

See All
bottom of page